भारत ने हिन्दूफोबिया को स्वीकार करवाने की बात कर यूएन को दिखाया दर्पण!
कहते हैं, ‘तेते पाँव पसारिए जेति लांबी सौर’, यानि समय से पूर्व और क्षमता से अधिक किसी को नहीं पचता। लेकिन ये छोटी सी बात आज तक एक संगठन चलाने वाले प्रशासकों के मस्तिष्क में नहीं बैठ पाई है, और इसे स्मरण कराने के लिए भारत ने एक अनोखा मार्ग अपनाया है।
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कादोहरामापदंड,
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